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*जनहित याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई, घटते जलस्तर पर जताई चिंता,सरकार से मांगा जवाब आखिर क्यों जरूरी है अरपा नदी में रेत उत्खनन*

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जनहित याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई, घटते जलस्तर पर जताई चिंता
*📕📢📕बिलासपुर/पर्दाफाश न्यूज*

High Court Bilaspur : अरपा अर्पण महाभियान समिति की जनहित याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने बिलासपुर शहर के घटते जल स्त्रोत पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अरपा नदी में रेत उत्खनन क्यों जरूरी है इस पर राज्य शासन विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट चार सप्ताह में प्रस्तुत करें। कोर्ट ने प्रकरण में केंद्रीय व राज्य पर्यावरण मंडल को भी जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।

मंगलवार को फिर से इस प्रकरण की सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने बिलासपुर शहर में भविष्य में पानी (High Court) की उपलब्धता को लेकर चिंता जाहिर की। कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देशित किया है कि अरपा नदी में शहर के आसपास रेत उत्खनन क्यों जरूरी है इस पर विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट चार सप्ताह में प्रस्तुत किया जाए। कोर्ट ने इस मामले में केंद्रीय व राज्य पर्यावरण मंडल को भी जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी।

जलकुंभी हटाने की दिशा में बाकी है काम
बीती सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने राज्य शासन, खनिज विभाग (High Court) व बिलासपुर नगर निगम को नोटिस जारी जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे। तब से इस मामले की लगातार सुनवाई चल रही है। बीते सात जुलाई को इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान कार्यकारी चीफ प्रशांत मिश्रा व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ को याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि रेत उत्खनन को लेकर जारी अंतरिम आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। इसी प्रकार नदी में कुछ जगह पनप रही जलकुंभी को हटाने की दिशा में भी अभी काम बाकी है। कोर्ट के आदेश के बाद भी अरपा नदी में शहर व आसपास रेत उत्खान का काम बेधड़क चल रहा है।

कोर्ट आदेश के बाद भी चल रहा है रेत खनन का काम
कोर्ट के निर्देश के बाद भी अरपा में कोनी व आसपास के कई गांव में अवैध रेत उत्खनन चालू है। बारिश में रेत के कारोबारी लोग नदी में पानी होने के कारण उसके तट की खुदाई करना शुरू कर दिए हैं। इससे नदी लगातार चौड़ी होती जा रही है और पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। शहर के से लगते क्षत्रों में रेत निकालने का सिलसिला चल रहा है। रोज दर्जनों रेत से भरे हाइवा इस घाट पर आ-जा रहे हैं। जेसीबी मशीन नदी के घाट को खोद कर वहां की रेत हाइवा में भर रही है। नदी के रूट को लगातार काटने से नदी चौड़ी होती जा रही है। बेहिसाब खुदाई से कई जगहों पर तो नदी में पानी के बहाव की दिशा भी बदल गई है। इससे नदी के वास्तविक स्वरूप को खतरा पैदा हो गया है।

जनहित याचिका में कहा- इको सिस्टम चौपट होने से सूख रही है नदी
अरपा अर्पण महाअभियान समिति ने अधिवक्ता अंकित पांडेय के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में बताया गया है कि अरपा नदी से मापदंडों और नियमों का पालन किए बिना अवैध रेत खनन किया जा रहा है। इससे अरपा नदी को नुकसान पहुंच रहा है। उसका इको सिस्टम चौपट होने से नदी सूख रही है। इसके साथ ही शासन को राजस्व का भी भारी नुकसान हो रहा है।

अरपा (High Court) में जो उत्खनन हो रहा है उसमें धारणीय रेत खनन प्रबंधन गाइड लाइन 2016 का पालन नहीं किया जा रहा है। मामले में कोर्ट ने पहले राज्य शासन, खनिज विभाग, बिलासपुर नगर निगम को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि अदालत द्वारा 23 फरवरी 2021 को जारी किए गए अंतरिम आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है।

रेत माफिया के मजे
अब रेत की कीमत दो हजार रुपए ट्रैक्टर हो गई है। घर बनाने वालों की हालत खराब हो रही है और रेत माफिया मजे में हैं। कहने को तो 15 जून के बाद से रेत घाट बंद है लेकिन एक भी दिन ऐसा नहीं जब माफिया रेत का अवैध उत्खनन ना कर रहे हो। खासतौर पर अरपा नदी के मंगला, लोखंडी, तुरकाडीह, निरतू, घुटकू, कछार, लोफंदी सहित अन्य सभी घाटों में उत्खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। घुटकू, निरतू और लोखंडी में तो पोकलेन लगाकर रेत की खुदाई की जा रही है। जानकारों का कहना है कि 1000 वर्गफीट का मकान बनवाने में लगभग 50 ट्रैक्टर रेत की जरूरत पड़ती है। पिछले साल तक 1200 से 1300 रुपए प्रति ट्रैक्टर के हिसाब से 60 हजार रुपए में मिल जाता था लेकिन अब तो सीधे एक लाख रुपए लग रहा है।

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