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पर्दाफाश

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मरवाही का टाईगर जिंदा है* *स्वर्गीय अजीत जोगी जी का अपमान करने वाले कांग्रेसीयो को मरवाही की जनता कभी माफ नही करेगी..तरुण ठाकुर

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*मरवाही का टाईगर जिंदा है*

*स्वर्गीय अजीत जोगी जी का अपमान करने वाले कांग्रेसीयो को मरवाही की जनता कभी माफ नही करेगी*

*तरुण सिंह ठाकुर नेता जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ज़े खरसिया

*बढ़ने वाली हैं भूपेश बघेल जी की मुश्किलें*

*राहुल और प्रियंका की नाराजगी है चरम पर*

आजकल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल परेशान चल रहे हैं। राज्‍य की सियासत में उनके द्वारा फेंके जा रहे पैतरों से पार्टी हाईकमान खासा नाराज है। पिछले कुछ समय से दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका ने उसे दूरी बना ली है। काफी प्रयासों के बाद भी राहुल प्रियंका ने भूपेश बघेल से मुलाकात करना मुनासिब नहीं समझा। कांग्रेस आलाकमान ने भूपेश बघेल से पूरी तरह से मुंह मोड़ लिया है। वह तो पार्टी चलाने के लिए अभी उनकी जरूरत है। वह जरूरत भी बिहार चुनाव के बाद कांग्रेस की जीत के साथ खत्म सी ही जायेगी। इससे भूपेश और परेशान है। क्योंकि बिहार चुनाव मे कांग्रेस की जीत उनके लिये नुकदायक साबित होगा। कांग्रेस पर उनकी डिपेंडेंसी कम हो जाएगी। राहुल और प्रियंका के सामने छत्तीसगढ़ से संबंधित सारा गड़बड़झाला सामने आ गया है। मुख्यमंत्री प्रदेश में केवल एक महिला अधिकारी की सुनते हैं, वह महिला अधिकारी उनके काफी करीब है। वहीं प्रदेश में सारे निर्णय गलत-सलत हो रहे हैं। *इसके साथ पत्रकारों पर बुद्धिजीवियों पर जो अटैक हो रहे हैं*, वह कांग्रेस की मूल परम्परा के विरुद्ध मुख्यमंत्री भूपेश भघेल जी द्वारा किए जा रहे हैं। *इसी में आखिरी कील मरवाई चुनाव के रूप में ठोकी जा रही है। राहुल प्रियंका की राजनीति में भी प्रतिदंदृी के लिए भी शराफत होती है। दोनों कभी भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करते। इसके विरुद्ध भूपेश बघेल ने झूठे प्रकरण के दम पर जोगी परिवार को मरवाही चुनाव से ही हटा दिया। फर्जी तरीके और प्रशासन का दुरुपयोग करके जोगी कांग्रेस को मरवाही में काम ही नहीं करने दिया जा रहा है। यह कामकाज का तरीका राहुल प्रियंका की कांग्रेस की कांग्रेस का ना होकर दमनकारी भूपेश का लगता है। इन सबके बाद अब जीत हार का कोई मतलब ही नहीं रह गया। यह बाहुबली स्टाइल का चुनाव आने वाले दिनों में भूपेश की कुर्सी ही ना हिला दे* वैसे भी ढाई साल होने ही वाले हैं। इसके साथ कांग्रेस वृद्धजन को मैनेज कर कुर्सी बचाने का जो प्रयास चल रहा है वह कितने दिन सफल रहता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा, क्योंकि पार्टी हाईकमान भूपेश बघेल जी से बहुत नाराज है।

*अमित जोगी जी धर्मजीत सिंह जी के नय समीकरण से छत्‍तीसगढ़ का मरवाही विधानसभा उपचुनाव हुआ बाद दिलचस्प*

*दाव पर भूपेश बघेल की प्रतिष्‍ठा*

*जोगी परिवार मरवाही की जनता से मांग रहा है न्याय*

*छत्‍तीसगढ़ के प्रथम मुख्‍यमंत्री अजीत जोगी के निधन से खाली हुई मरवाही विधानसभा सीट का उप चुनाव छत्‍तीसगढ़ में आने वाले दिनों की राजनीति और वर्तमान मुख्‍यमंत्री के भविष्‍य के लिहाज से अहम माना जा रहा है। छत्‍तीसगढ़ राज्‍य बनने के बाद यह पहला चुनाव है जिससे जोगी परिवार को चुनाव मैदान से बाहर कर दिया गया है। इस चुनाव में स्थिति काफी दिलचस्‍प मानी जा रही है। वजह भी साफ है। छत्‍तीसगढ़ राज्‍य बनने के बाद पांच चुनाव में जिस तरह जोगी परिवार ने मरवाही में जीत हासिल की और इन चुनावों में उन्‍हें काफी बड़े अंतर से जीत हासिल होती रही, उससे एक बार फिर लगने लगा है कि इस चुनाव में भी जीत का परिणाम जोगी परिवार की ओर रहेगा। जिस तरह मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने जोगी परिवार के साथ अन्‍याय और भेदभावपूर्ण कार्यवाही की है या की जा रही है उससे यही लगता है कि भुपेश बघेल जी अमित जोगी जी के चुनाव लड़ने में अड़ंगा लगाना, यही दर्शाता है कि मुख्‍यमंत्री किसी भी तरह से यह मरवाही सीट जीतना चाहते हैं। लेकिन मौजूदा हालातों से लगता है कि मरवाही की जनता जोगी परिवार के साथ खड़ी है। सरकार तमाम कोशिशे भले ही कर ले लेकिन ऐसा नही लगता है कि कांग्रेस इस सीट पर कब्‍जा कर सकती है। जोगी परिवार भले ही उम्‍मीदवारों की सूची से बाहर हो गया हो, लेकिन उनसे चुनाव मैदान नही छोड़ा है*।

*यह बात भी सत्‍य है कि जोगी परिवार दशकों से मरवाही की सेवा सेवक के रूप में करता आ रहा है। आज भले ही वर्तमान सरकार ने अमित जोगी जी और उनकी पत्नि ऋचा जोगी जी को चुनाव लड़ने से षड़यंत्रपूर्वक सुनियोजित तरीके से रोक लगा दी*

*मरवाही में खुलेआम लोकतांत्रिक अधिकारों का भुपेश बघेल जी के द्वारा हनन किया गया यह दर्शाता है कि भूपेश बघेल की जोगी परिवार के प्रति खुन्‍नस चरम पर है*।

यही कारण है कि आज पूरा शासन, प्रशासन मरवाही विधानसभा चुनाव में लगा दिया है। भूपेश बघेल चाहते है कि किसी भी तरह से ऐन-केन प्रकरेण यह मरवाही सीट जीतनी है मरवाही सीट भूपेश बघेल के लिए प्रतिष्‍ठा का सवाल बन गई है। उनकी प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी हुई है। यदि यह सीट कांग्रेस हारती है तो निश्चित तौर पर यह मुख्‍यमंत्री भुपेश बघेल जी की हार होगी । मतलब साफ है अब यह लड़ाई दोनों के लिए अस्तित्‍व की लड़ाई बन गई है।

*मरवाही उपचुनाव में सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है 2018 में छत्‍तीसगढ़ जोगी कांग्रेस प्रत्‍याशी गुलाब सिंह थे जिनकी जमानत जप्‍त हुई थी तब कांग्रेस की लहर चल रही थी और भाजपा उम्‍मीदवार अर्चना पोर्ते नम्‍बर दो पर थी, अजीत जोगी 52 हजार वोटों से जीते थे। निश्चित तौर पर यह समझा जा सकता है, 2018 में लहर के बावजूद अपनी जमानत कांग्रेेस नही बचा पाई। इस समय मरवाही में जोगी लहर है। जोगी जी को मरवाही की जनता एक महात्‍मा भगवान की तरह पूजा जाता है तो भूपेश बघेल कांग्रेस की सीट को कैसे निकालेगे। निर्वाचन आयोग भी सरकार का साथ दे रहे हैं और जिला प्रशासन कांग्रेस के साथ है। ऐसा लगता है कि भूपेश बघेल के स्‍वभाव के अनुसार अब यहां पर बूथ केप्‍चरिंग भी होगी। गुण्‍ड़ागर्दी और दादागिरी से फर्जी वोट डाले जायेगे*। इन सब के वाबजूद चुनाव का परिणाम बतायेगा की कौन जीतता है और कौन हारता है, जीत का अंतर कम रहेगा।

मैं मरवाही विधानसभा के कई गांव में गया जोगीसार,धनेली, पसान, सिवनी, नवगांव, कोरनी, बछडवार जब मैं यहाँ गया तब वहां पर कई आदिवासी परिवारों से बातचीत हुई। उन लोगों ने कहा कि हमसे कांग्रेस के लोग बातचीत कर रहे है दवाब डाल रहे है, डरा,धमका रहे है, साडि़या बांट रहे हैं, फिर भी वोट तो हम को डालना है, हम कसम खा कर कहते है कि *अजीत जोगी जी के लड़के अमित जोगी जी जिसको कहेंगे हम उसी को वोट देंगे। हम कांग्रेस को वोट नही देंगे*।

मरवाही विधानसभा क्षेत्र ऐसा विधानसभा क्षेत्र बन गया है जहां सारे कांग्रेस व भाजपा के दिग्‍गज नेता जम गये हैं। अब जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के अध्‍यक्ष अमित जोगी एवं वरिष्‍ठ नेता धरमजीत सिंह ने पार्टी के साथ मिलकर निर्णय लिया है वह वह भाजपा के प्रत्‍याशी का समर्थन करेंगे।

मरवाही विधानसभा चुनाव की चर्चा के साथ ही यह बात भी उठने लगी थी कि इस चुनाव में कांग्रेस भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे तीनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। चुनाव नतीजों से छत्तीसगढ़ में आने वाले दिनों की सियासत पर भी असर पड़ेगा।

लेकिन नामांकन के दौर में जिस तरह जोगी कांग्रेस के अमित जोगी जी और उनकी पत्नी ऋचा जोगी जी के साथ उनके पार्टी के दो समर्थकों के नामांकन रद्द हो गए। उसके बाद से अब जोगी कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई बन गई है। कांग्रेस की रणनीति इस तरह नजर आ रही है कि जोगी कांग्रेस से जुड़े तमाम लोगों सरकारी तंत्र का उपयोग कर कांग्रेस में प्रवेश दिलवाया जा रहा है। जोगी के कई नजदीकी साथी भी उन्हें छोड़कर कांग्रेस में जा मिले हैं भले ही वो सरकारी तंत्र का दबाव हो या सरकार की धमकीं हो । इससे साफ लगता है कि मरवाही के नतीजे चाहे जो भी हो लेकिन जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे को अपना वजूद कायम रखने के लिए आने वाले समय में और भी जद्दोजहद करनी पड़ सकती है। या फीर यह चुनाव का नतीजा बतायेगा कि भविष्य में आगे जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे का अगला कदम क्या होगा

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