मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए
स्वामी आत्मानंद की जयंती पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में

रायपुर, 06 अक्टूबर 2020

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि स्वामी आत्मानंद ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस की भावधारा और स्वामी विवेकानंद की विचार धारा को कार्य रूप में परिणित किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्वामी आत्मानंद के पद चिन्हों पर चलते हुए किसानों, वनवासियों, गरीबों और मजदूरों के शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के हर संभव प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कोलकत्ता के बाद सर्वाधिक समय रायपुर में व्यतीत किए। रायपुर प्रवास के दौरान वे जिस भवन में रहे, उस भवन में स्वामी विवेकानंद की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्मारक बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री आज अपने निवास कार्यालय से विवेकानंद विद्यापीठ रायपुर द्वारा आयोजित स्वामी आत्मानंद स्मृति राष्ट्रीय वेबीनार को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने स्वामी आत्मानन्द को स्मरण करते हुए कहा कि स्वामीजी के जीवन में उनके शिक्षक तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिता का विशेष प्रभाव पड़ा, जिनके सानिध्य में उन्हें अपने बाल्यकाल में ही वर्धा स्थित गांधी आश्रम में रहने का अवसर मिला। स्वामीजी ने अपने जीवन में सेवापरायणता के माध्यम से रामकृष्ण भावधारा और स्वामी विवेकानंद के विचारों को कार्यरूप में परीणित किया। स्वामी रामकृष्ण परमहंस विश्व के एकमात्र ऐसे संत थे, जिन्होंने ‘जितने मत-उतने पंथ‘ का विचार देते हुए विभिन्न पंथों और संप्रदायों में निहित एकरूपता को स्थापित किया।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने वेबीनार में कहा कि स्वामी आत्मानंद के वनांचल में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्य को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री सुपोषण योजना की शुरूआत 02 अक्टूबर 2019 को गांधी जयंती के दिन से की गई है। इस योजना में अब तक 13.77 प्रतिशत बच्चों को कुपोषण के दायरे से बाहर लाया गया है। बस्तर में मलेरिया मुक्त अभियान चलाया गया। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के युग में राज्य में इस वर्ष 51 इंग्लिश मीडियम स्कूल प्रारंभ किए जा रहे हैं। इन स्कूलों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति कर ली गई है। बच्चों के प्रवेश भी प्रारंभ हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन स्कूलों का संचालन स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना के तहत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में धरसा विकास योजना जल्द शुरू की जाएगी। इस योजना से गांवों में खेत-खलिहानों तक पहुंचने के लिए धरसा के कच्चे रास्तों को पक्का किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी आत्मानंद ने यह संदेश दिया था कि पीड़ित मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। इसलिए उन्होंने मठ और आश्रम स्थापित करने के लिए एकत्र की गई राशि अकाल पीड़ितों की सेवा में खर्च करने का कदम उठाया था। एकत्र राशि उन्होंने अकाल पीड़ित गरीबों को राहत पहुंचाने में खर्च कर दिए। उन्होंने अमेरी में कुंआ, अचानकपुर में तालाब निर्माण जैसे जनहित के कार्य किए। उन्होंने अकाल के समय गर्भवती माताओं के लिए पौष्टिक भोजन की शुरूआत की जिससे की बच्चे कुपोषित न हो। दूसरी बार आश्रम बनाने के लिए एकत्र राशि भी 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को बस्तर अंचल में पाखांजूर, रायपुर के माना और धरमजयगढ़ कैम्प में बसाने के लिए खर्च कर दी। स्वामी आत्मानंद पीड़ित मानवता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानते थे। उन्होंने नारायणपुर के अबूझमाड़ में आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए आश्रम की स्थापना की।

राष्ट्रीय वेबिनार में स्वामी निखिलेश्वरानंद अध्यक्ष श्रीरामकृष्ण आश्रम राजकोट, स्वामी शुद्धीदानन्द अध्यक्ष रामकृष्ण आश्रम मायावती, डॉ. विक्रम सिंह कुलाधिपति नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, डॉ. ओमप्रकाश वर्मा सचिव विवेकानंद विद्यापीठ कोटा तथा श्रीमती विजयलक्ष्मी वर्मा, श्रीमती मनीषा चंद्रवंशी ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल, पीसीसीएफ श्री राकेश चतुर्वेदी, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री विनोद वर्मा, श्री रुचिर गर्ग और श्री प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी उपस्थित थे।